Posts

आजसू का गणित उप चुनाव बिगाड़ देने को आतुर

सिल्ली चुनाव आप सब की जानकारी के लिए सिल्ली में बहुकोणीय चुनाव रूपी 'संजीवनी बूटी' की तलाश में भाजपा से टकराव की राह पर आजसू सिल्ली और गोमिया में होनेवाले उपचुनाव को लेकर 2014 विधानसभा चुनाव पूर्व बीजेपी-आजसू गठबंधन टूट के कगाार पर है। सिल्ली का चुनावी अंकगणित बताता है कि गठबंधन की टूट से ही सिल्ली में सुदेश की जीत की संभावनाएं बलवत हो सकती हैं इसलिए बीजेपी की हिस्सेवाली गोमिया सीट पर दावा आजसू की सोची-समझी राजनीति का हिस्सा है। सिल्ली में सुदेश महतो का वर्ष 2000 से लेकर आजतक का चुनावी इतिहास बताता है कि विपक्षी वोट में बंटवारे के कारण ही वो चुनाव जीतते आ रहे थे, 2014 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी वोटों का बंटवारा नहीं हुआ और सुदेश 29,740 वोटों से चुनाव हार गए थे (पढ़ें बाॅक्स)। राज्य सभा चुनाव के बाद विपक्षी एकता मजबूत हुई है इसलिए सिल्ली और गोमिया में विपक्ष की ओर जेएमएम का प्रत्याशी ही सर्वमान्य होगा ये लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में सिल्ली में फिर से बायोपोलर यानि आमने-सामने के चुनाव के आसार बन रहे हैं, और आजसू जानती है कि सिल्ली में बायोपोलर चुनाव हुए तो हार की एक और माल

प्रेम

एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी । जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिबए भागने लगे ।भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्भार के पास पहुँचे । कुम्भार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था । लेकिन जैसे ही कुम्भार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ । कुम्भार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं । तब प्रभु ने कुम्भार से कहा कि 'कुम्भार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है । मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है । भैया, मुझे कहीं छुपा लो ।'* *तब कुम्भार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया* । कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्भार से पूछने लगी - 'क्यूँ रे, कुम्भार ! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या ?' कुम्भार ने कह दिया - 'नहीं, मैया ! मैंने कन्हैया को नहीं देखा ।' श्री कृष्ण ये सब बातें बडे से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे । मैया तो वहाँ से चली गयीं । अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्भार से कहते हैं - 'कुम्भार जी, यद

हमारे युवा

हमारे युवा सुबह उठकर *कोलगेट* से ब्रश करते हैं *जिलेट* से दाढ़ी बनाते हैं *ओल्ड स्पाइस* का आप्टरशेव लगाते हैं *पियर्स* से नहाते हैं अंतःवस्त्र *जोकी* के पहनते हैं *वान हुसैन* की कमीज पहनते हैं पैंट *ली वाइस* की पहनते हैं नाश्ते में *ओट्स* या *मैगी* खाते हैं साथ में *नेसकैफे* या *स्टारबक्स* की कोफी पीते हैं मोबाइल *सैमसंग* या *एपल* का रखते हैं चश्मा *रेबेन* का लगाते हैं समय *राडो* या *कैशियो* की घड़ी में देखते हैं किसी *बहुराष्ट्रीय कंपनी* में नौकरी करते हैं *टोयोटा* की कार या *होंडा* की मोटरसाइकिल से चलते हैं *एपल* या *लेनोवो* का लैपटाप प्रयोग करते हैं *मैक्डोनाल्ड* में लंच करते हैं दिन भर *कोक* और *पेप्सी* पीते हैं शाम को घर आते हुए पत्नी व बच्चों के लिए *केएफसी* का बर्गर या  *पिज्जा हट* से पिज्जा लेकर आते हैं और शाम को *ब्लैक लेबल* की चुस्की लेते हुए आपस में चर्चा करते हैं कि *यार ये रूपया डॉलर के मुकाबले इतना गिर क्यों रहा है*

हज सब्सिडी या तुष्टिकरण

हज सब्सिडी या तुष्टिकरण केंद्र की ओर से दी जाने वाली हज सब्सिडी को तुष्टिकरण के तौर पर भी देखा जाता रहा है। भारत दुनियां का इकलौता ऐसा देश है जहां हज के लिये सब्सिडी दी जाती है। अब केंद्र की मोदी सरकार ने हज पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है। एक अनुमान के अनुसार देश  को करीब 700 करोड़ रुपये की हज सब्सिडी के मद में बचत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में ही केंद्र सरकार से इस सब्सिडी को साल 2022 तक क्रमवार खत्म करने को कहा था। इस तरह के फैसले मोदी सरकार ही ले सकती है। केंद्र की दूसरी सेकुलर सरकारों से ऐसे किसी ऐलान की उम्मीद नहीं थी। हज सब्सिडी को वोटबकं की राजनीति का भी हिस्सा माना जाता है। इसलिये मोदी सरकार के लिये ऐसा फैसला करना राजनीतिक तौर पर कठिन नहीं कहा जा सकता है.देश में तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा यह है कि अल्पसंख्यकों का मतलब केवल मुसलमानों से ही निकाला जाता है क्योंकि उनको बड़ा वोटबैंक है। वैसे भी हज को लेकर जो सब्सिडी दी जाती रही है वह एक तरह से आंखों में धूल झोंकने जैसी प्रतीत होती थी। यही कारण है कि मुस्लिम तबके से भी  इसे खत्म करने की मांग होती रही है। एआईएमआई

खुद्दार बनो अमीर तो सब है

खुद्दार बनो अमीर तो सब है लगभग दस साल का बालक राधा का गेट बजा रहा है।राधा ने बाहर आकर पूंछा क्या है ? आंटी जी क्या मैं आपका गार्डन साफ कर दूं ?" नहीं, हमें नहीं करवाना।" हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा।" द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा ?" पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना।" ओह !! अच्छे से काम करना।" लगता है, बेचारा भूखा है।पहले खाना दे देती हूँ। राधा बुदबुदायी।" ऐ लड़के ! पहले खाना खा ले, फिर काम करना। नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना।" ठीक है ! कहकर राधा अपने काम में लग गयी एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं।" अरे वाह! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए।यहाॅं बैठ, मैं खाना लाती हूँ। जैसे ही राधा ने उसे खाना दिया वह जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना रखने लगा।" भूखे काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठकर खा ले।जरूरत होगी तो और दे दूंगी।"नहीं आंटी, मेरी बीमार माँ घर पर है।सरकारी अस्पताल से

सफलता पाने के मंत्र

सभी देवों की तरह मां सरस्वती की पूजा-उपासना के भी कई नियम हैं, लेकिन मंत्रों का जाप करना इसमें सबसे आसान उपाय है। यहां हम आपको हर राशि के लिए एक सरस्वती मंत्र बता रहे हैं। अपनी राशि अनुसार नित्य प्रात:काल में स्नान-आदि से निवृत्त होकर 108 बार इसका जाप करें, धीरे-धीरे आप देखेंगे कि आपके ज्ञान का दायरा अपने आप ही बढ़ने लगा है और इसके दम पर आपके लिए लाभ की नई राहें भी खुलनी लगी हैं। आगे जानें मंत्र... मेष राशि ॐ वाग्देवी वागीश्वरी नम: वृष राशि ॐ कौमुदी ज्ञानदायनी नम: मिथुन राशि ॐ मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नम: कर्क राशि ॐ मां चन्द्रिका दैव्यै नम: सिंह राशि ॐ मां कमलहास विकासिनी नम: कन्या राशि ॐ मां प्रणवनाद विकासिनी नम: तुला राशि ॐ मां हंससुवाहिनी नम: वृश्चिक राशि ॐ शारदै दैव्यै चंद्रकांति नम: धनु राशि ॐ जगती वीणावादिनी नम: मकर राशि ॐ बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नम: कुंभ राशि ॐ ज्ञानप्रकाशिनि ब्रह्मचारिणी नम: मीन राशि ॐ वरदायिनी मां भारती नम

जनेऊ क्या है

ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम।। अर्थात ब्राह्मण ब्रह्म (ईश्वर) तेज से युक्‍त हो। ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः॥ -पार. गृ.सू. 2.2.11। जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं। जनेऊ धारण करने की परम्परा बहुत ही प्राचीन है। वेदों में जनेऊ धारण करने की हिदायत दी गई है। इसे उपनयन संस्कार कहते हैं। 'उपनयन' का अर्थ है, 'पास या सन्निकट ले जाना।' किसके पास? ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों में से एक 'उपनयन संस्कार' के अंतर्गत ही जनेऊ पहनी जाती है जिसे 'यज्ञोपवीत संस्कार' भी कहा जाता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। यज्ञोपवीत धारण करने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। एक बार जनेऊ धारण करने के बाद मनुष्य इसे उतार नहीं सकता। मैला होने पर उतारने के बाद तुरंत ही दूसरा जनेऊ धारण करना पड़ता है। आओ जानते हैं जनेऊ के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के साथ ही उसके